ऐजो युग्मन अभिक्रियायें (Azo coupling reactions)
युग्मन अभिक्रिया में डाइऐजोनियम लवण की सक्रिय हाइड्रोजन रखने वाले यौगिकों जैसे- फीनोल, नैफ्थोल, प्राथमिक, द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐरोमैटिक ऐमीन के साथ अभिक्रिया होती है एवं ऐजो यौगिक प्राप्त होते हैं इस प्रकार प्राप्त यौगिकों को ऐजो रंजक कहते है ।
युग्मन अभिक्रियायें साधारणतया OH तथा ऐमीनों समूह के पैरा स्थिति पर होती है। यदि पैरा स्थिति पर अन्य समूह उपस्थित है तो ये क्रियाएँ ऑर्थो स्थिति पर होती है।
फनॉल एवं नैफ्थोल के साथ युग्मन दुर्बल क्षारीय माध्यम तथा ऐरोमैटिक ऐमीन के साथ दुर्बल अम्लीय माध्यम में होता है। युग्मन अभिक्रिया के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार हैं –
(i) फीनोल एवं नैफ्थोल के साथ अभिक्रिया –
उपर्युक्त सभी अभिक्रियायें इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के उदाहरण हैं। डाइऐजोनियम लवण आयनीकृत होकर डाइऐजोनियम आयन देता है जो एक इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक है। संयुग्मन अभिक्रियाओं की क्रियाविधि (Mechanism of coupling reaction)
यह इलेक्ट्रोनरनेही प्रतिस्थापन प्रकार की अभिक्रिया है जिसमें सक्रिय ऐरोमैटिक यौगिक सब्स्ट्रेट के सामन कार्य करता है जबकि डाइऐजोनियम लवण पर इलेक्ट्रॉनस्नेही के रूप में कार्य करता है।
संयुग्मन अभिक्रियाओं की क्रियाविधि के संदर्भ में प्रमाण (Evidences in favour of mechanism of coupling reaction)
(i) डाइऐजोनियम लवण की बैंजीन वलय पर यदि इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह जुड़ा होता है तो इसकी इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रवृति में वृद्धि होती है वही दूसरी ओर यदि इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षित करने वाला समूह जुड़ा हो तो इसकी इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रवृति कम हो जाती है। अभिक्रियाशीलता का घटता क्रम निम्न प्रकार है।
(ii) सक्रिय ऐरोमैटिक यौगिक यदि एक और सक्रियत करने वाला समूह जुड़ा हो तो यौगिक में युग्मित होने की क्षमता बढ़ जाती है।
फीनॉल की तुलना में रिसॉर्सिनॉल में युग्मन सुगमता से होता है।
(iii) ऐमीनों की युग्मन अभिक्रियाएँ दुर्बल अम्लीय माध्यम में सम्पन्न होती है। प्रबल अम्लीय माध्यम में नही, क्योंकि प्रबल अम्लीय माध्यम में ऐमीनों समूह का प्रोटॉनीकरण हो जाता है. तथा वह + M प्रभाव बैंजीन वलय को सक्रियत करने के स्थान पर प्रभाव द्वारा विसक्रियत कर देगा।
(iv) फीनॉलों में युग्मन हल्के क्षारीय माध्यम में सम्पन्न कराया जाता है क्योंकि दुर्बल क्षारीय माध्यम में फीनॉल अणु में फीनॉक्साइड आयन के रूप आयन के रूप में रहते हैं जो फीनॉल अणुओं को सक्रिय कर देते हैं।
(v) युग्मन अभिक्रियाएँ प्रबल क्षारीय माध्यम में सम्पन्न नही होती है क्योंकि इसमें डाइऐजोनियम हाइड्रॉक्साइड का निर्माण हो जाता है जिसकी इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रकृति कम होती है।
युग्मन अभिक्रिया के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
(i) युग्मन क्रिया सामान्यतः सक्रिय यौगिकों की पैरा स्थिति पर सम्पन्न होती है लेकिन यदि p- स्थिति पर कोई समूह हो तो युग्मन अभिक्रिया ऑर्थो स्थिति पर सम्पन्न होती है परन्तु कभी भी मेटा स्थिति पर सम्पन्न नहीं होती है।
(ii) यदि OH समूह परस्पर मेटा स्थिति पर हो तो युग्मन अभिक्रिया शीघ्रता से सम्पन्न होती है व बिस तथा ट्रिस ऐजो यौगिक बनते हैं। उदाहरणार्थ, रिसार्सिनॉल में अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार से होती है।
(iii) यदि किसी यौगिक में ऐमीनों समूह तथा हाइड्रॉक्सी समूह दोनों उपस्थित हो तो दुर्बल क्षारीय माध्यम में अभिक्रिया हाइड्रॉक्सी समूह की स्थिति पर तथा दुर्बल अम्लीय माध्यम में अभिक्रिया ऐमीनों समूह की o- स्थिति पर सम्पन्न होती है। उदाहरणार्थ,
(iv) यदि किसी यौगिक में हाइड्रॉक्सी समूह की p-स्थिति पर कार्बोक्सिलिक अम्ल अथवा सल्फोनिक अम्ल उपस्थिति हो तो वह यौगिक युग्मन में भाग लेता है तथा उसमें अम्लीय समूह का ऐजो समूह द्वारा विस्थापन हो जाता है।
(v) प्राथमिक एवं द्वितीयक ऐमीनो में युग्मन नाइट्रोजन परमाणु के साथ भी हो सकता है जबकि तृतीयक ऐमीनों के साथ युग्मन केवल नाभिकीय होता है।
एजो युग्मन अभिक्रिया किसे कहते हैं azo coupling reaction examples in hindi mechanism ?
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